Friday, July 14, 2017

Ek Romanchak Soviet Russia Yatra: Soviet Sangh ki Pratibandhit Saaako.N Par Do Yuvaa Phraanseesee Patrakaaro ki Yaadagaar Motarakaar Yaatraa

सोवियत संघ की प्रतिबंधित सड़कों पर दो युवा फ्रांसीसी पत्रकारों की यादगार मोटरकार यात्रा प्रतिष्ठित फ्रांसीसी समाचार पत्रिका के दो प्रसिद्ध पत्रकारों - 25 वर्षीय डोमिनीक लापिएर और 27 वर्षीय जीन पियरे ने 1956 में अपनी मोटरकार में रूस की प्रतिबंधित सड़कों पर 13,000 किलोमीटर की यात्रा करने के लिए प्रेसिडेंट से असाधारण अनुमति प्राप्त की। इससे पहले कोई भी विदेशी रूस की इस प्रकार की रोमांचक यात्रा नहीं कर पाया था। पूरे सोवियत रूस में, स्पेशल पेट्रोल बेचने वाला केवल एक ही पेट्रोल पम्प था और किसी भी सोवियत नागरिक ने दो रंगों वाली मोटरकार कभी देखी ही नहीं थी। पोलैंड से यूराल की पहाडि़यों तक, रूस के बर्फ से ढके गाँवों से काले सागर के समुद्र तटों तक, क्रेमलिन से जार्जिया में स्टेलिन के जन्म - स्थान तक, लापिएर, जीन और उनकी पत्नियों ने शीत युद्ध के पीछे एक कौम के अनजाने चेहरों को देखा। जैसे - जैसे उनकी रोमांचक यात्रा आगे बढ़ती जाती है, उनके सामने एक उलझा - सा सवाल उठ खड़ा होता है - सोवियत शासन किस प्रकार एक समाज को बिना स्वतंत्रता के यह भरोसा दिला पाता है कि वह इस पृथ्वी पर सबसे सुखी राष्ट्र है। अविश्वसनीय रोमांच से परे, यह यात्रा मनुष्य के इतिहास की खोज करने वाले विश्व में एक छलांग है। डोमिनीक लापिएर विश्वविख्यात रचनाएँ ‘सिटी आॅफ़ जाॅय’ और ‘आज़ादी आधी रात को’ के लेखक हैं। उनकी पुस्तकों की लाखों प्रतियाँ दुनिया भर में बिक चुकी हैं। कई पर तो पफ़ल्में भी बनी हैं। डोमिनीक लापिएर 1981 में मदर टेरेसा से मिले और उनकी प्रेरणा से हमेशा के लिए भारत में सामाजिक कार्यों में जुट गए। सामाजिक बुराइयों के उन्मूलन और मानवता की सेवा के लिए भारत सरकार ने आपको 2008 में ‘पद्म भूषण’ से भी सम्मानित किया।

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